जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था। जो भी था , जैसा भी था आंखों का गुजारा पल सुहाना सा था।
मैं उड़ना चाहती थी बादलों के भी पार, शायद ये हौसला भी मिला था उसी के संग में। मैं उड़ना चाहती थी बादलों के भी पार, शायद ये हौसला भी मिला था उसी के संग में।
अब मैं ख़ुद पतवार बनूँगी ठान लिया भले करना पड़े संघर्ष इससे लडूँगी अब मैं ना थमुंगी लक्ष्य था मे... अब मैं ख़ुद पतवार बनूँगी ठान लिया भले करना पड़े संघर्ष इससे लडूँगी अब मैं ना थ...
आख़िर आज वो दिन आ ही गया सब को देखकर मैं हँसी उड़ाती थी। आज मुझे भी स्कूल पड़ रहा है जाना आख़ि... आख़िर आज वो दिन आ ही गया सब को देखकर मैं हँसी उड़ाती थी। आज मुझे भी स्कूल पड...
"जब-जब तेरे शहर मे आता हूँ.. फ़ितरत से और जवान हो जाता हूँ.. "जब-जब तेरे शहर मे आता हूँ.. फ़ितरत से और जवान हो जाता हूँ..